Little Known Facts About Shiv chaisa.
Little Known Facts About Shiv chaisa.
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सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
अर्थ: हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
मंत्र महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि
अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
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त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी